बॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्री वहीदा रहमान को इस साल ‘दादा साहेब फाल्के लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड’ से सम्मानित किया गया है। इस अवॉर्ड की घोषणा हाल ही में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने की है। इस साल का इस अवॉर्ड को प्राप्त करने वाला वहीदा रहमान आठवीं महिला कलाकार हैं जिन्हें यह उच्च सम्मान मिला है। यह अवॉर्ड पहली बार 1969 में दादा साहब फाल्के की स्मृति में शुरू किया गया था और इससे पहले सिर्फ 7 महिलाओं को इस सम्मान का लाभ हुआ है।
इस सम्मान का पहला लाभ उठाने वाली महिला कलाकार देविका रानी थीं, जिन्हें 1969 में यह अवॉर्ड मिला था। देविका रानी को भारतीय सिनेमा की पहली एक्ट्रेस कहा जाता है और उन्हें इस सम्मान के लिए चुना जाना एक बड़ी उपलब्धि है। इसके बाद, 1973 में रूबी मेयर्स को भी दादा साहब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। रूबी मेयर्स को सुलोचना नाम से भी जाना जाता है और वे 1930 के दशक में भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की शीर्ष एक्ट्रेस में थीं।
1976 में कानन देवी को भी दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। यह अवॉर्ड पाने वाली कानन देवी ने इस समय तक पहली बांग्ला कलाकार बनने का गर्व महसूस किया। इसके पश्चात, 1983 में दुर्गा खोटे को यह सम्मान मिला, जिन्होंने हिंदी और मराठी फिल्मों में अद्भुत अभिनय के लिए पहचान बनाई। उन्होंने हिंदी सिनेमा में महिलाओं के लिए एक नया रुझान स्थापित किया और महिलाओं को मुख्य भूमिकाओं में देखने की संभावना को बढ़ाया।
1989 में लता मंगेशकर को ‘स्वर कोकिला’ के रूप में शिखर पर पहुंचाने वाली गायिका को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। इसके अलावा, उन्हें साल 2001 में ‘भारत रत्न’ से भी सम्मानित किया गया है। लता मंगेशकर के बाद, उनकी छोटी बहन आशा भोसले को भी 2000 में इस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। आशा भोसले ने बॉलीवुड की म्यूजिक इंडस्ट्री में 16 हजार से अधिक गाने गाए हैं और विभिन्न भाषाओं में गाने गाए हैं, जिससे उन्होंने विविधता का परिचय किया।
साल 2022 में आशा पारेख को दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। उन्होंने 60 के दशक में अपने अभिनय से सिनेमा प्रेमियों का दिल जीता था। इससे उन्होंने बॉलीवुड में एक स्थान प्राप्त किया और उनका योगदान सिनेमा के क्षेत्र में महत्वपूर्ण है।